chalte chalte
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दूर रहे तो हँस के जीते रहे ख्यालों में
पास आये तो लगा रोयें भी तो किसके लिए
बेकार-सी ज़िन्दगी के इन खामोश लम्हों में
सांसों की हिफ़ाज़त करूँ भी तो किसके लिए
आँखों की आदत-सी हो गयी है हर पल बरसने की
बरसती आँखों में मुस्कुराऊँ भी तो किसके लिए
हर शख्श परेशां नज़र आता है इस सफ़र में
इस सफ़र में हमसफ़र बनूँ भी तो किसके लिए
आरज़ू करूँ इबादत करूँ या करूँ जुस्तज़ू
कुछ भी करूँ तो आख़िर करूँ मैं किसके लिए
आज की रात मलय क़यामत आ जाये तो अच्छा
मर जाऊं तो बेहतर है जियूं भी तो किसके लिए
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