chalte chalte
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कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
क्यों इन्सान नहीं बन पाता हर इन्सान
क्यों हर किसीका अलग होता है भगवान
जिस्म आदमी का मिलने से बनता नहीं इन्सान
दिल में छुपा कर खंज़र घूमते हैं
मुस्कुराकर बेशर्मी से बेचते हैं ईमान
शर्म तो तुम्हे भी आती होगी भगवान्
देखते होगे जब ज़मीं पर अपने बनाये इंसान
तब तुम भी तो कहते होगे यही
“कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
काश मैं बनाता ही नहीं इंसान.”
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