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दर्द

chalte chalte
chalte chalte
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बाहर से देखने वाले
क्या जाने
कितने ग़मों की भीड़ है
इस आदमी के साथ.

इस ज़िन्दगी का है
ये फ़लसफ़ा
जिसने जो दिया
उसे उतना मिला
मैंने भी जो किया है
फिक्स्ड डिपोसिट
उसका इंटरेस्ट मुझे
इंस्टालमेंट में मिला.

कहाँ तक भागे कोई
अपनी ही परछाईं से
क्या उम्मीद करे मेमना
किसी बेरहम कसाई से
चखना है लोहे का स्वाद
बस फटी-फटी निगाहों से
ज़िन्दगी सिमट गयी शरमाकर
मौत की इन अदाओं से.

ज़िन्दगी जिसे माना
वही आमादा है ज़िन्दगी छीनने को
अब दर्द की तड़प क्या
जब दर्द ही दवा हो जीने को
या रब…..दर्द सहने की ताकत दे
या छीन ले अभी
दर्द समझने के इल्म को.

अब और सहा नहीं जाता
बस यूँही रहा नहीं जाता
ज़िन्दगी के कातिल, दर्द के खुदा
मौत,….अपने आगोश में दे पनाह.

हर दर्द से फुर्सत
हर रिश्ते से रुखसत
राख बन जाऊंगा
हवा में उड़ जाऊंगा
ज़िन्दगी बहुत जल्द तुझे
अलविदा मैं कह जाऊंगा.

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