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बापू तेरे देश में
बापू तेरे वेश में
घूम रहे हैं शातिर चोर
बहुत ही अच्छे पेस में.
नेताओं ने बेचा ईमान अपना
विधायकों ने बेचा विधान अपना
तुझे आदर्श बताने वालों ने
बेच दिया हिंदुस्तान अपना.
बापू तोड़ दिया तेरा डंडा
भूला तेरे आदर्श का फंडा
खादी पहने गली-गली खेल रहे
गन्दी राजनीति का गिल्ली-डंडा.
बेईमानी के मैदान में
फ़र्क नहीं इन्सां और शैतान में
रामराज्य की बागडोर सम्हाले
रावण खा रहा बटर और अंडा.
बापू तुम तो युग के पूर्णविराम थे
अहिंसा और सत्य के श्रीराम थे
पर आज के सन्दर्भ में तुम नाकाम थे
भविष्य क्या होगा तुम अन्जान थे.
कुछ भी हो बापू
तुम में काफी दम है
कोई कितना भी महान हो
फिर भी तुमसे कम है.
बस इसी बात का तो गम है
तेरी याद में आँखे नम है.
अब कोई राह नहीं दिखाता
कोई आदर्श नहीं बताता
हर कोई देश को लूट रहा
तुम-सा खुद को लुटाने वाला
अब कोई नज़र नहीं आता.
बिन पतवार चले जाते हैं
दहशत में पले जाते हैं
तुम्हारे आश्रम में बापू
अब राम नहीं रावण बसते हैं
गंगाजल नहीं मदिरा पीते हैं
देश की अस्मत को नीलाम कर
खुद मस्ती में जीते हैं.
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