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ख़तरा

chalte chalte
chalte chalte
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शाखों से लिपटी
पत्तियों ने शोर मचाया
झींगुर अनायास ही चुप हो गए
खरगोश ने कान खड़े कर लिए
हिरनी चौकन्नी हो गई
कौवा काँव-काँव कर
सारे जंगल को जगाने लग गया
सभी बदहवास-से हो गए
साँभर-चीतल, सियार,लोमड़ी
बाघ,चीता,शेर,हाथी
बेचैन-से दिखने लगे सभी
क्या क़यामत आ गई?
या जंगल में फैल गया था दावानल?
मगर
ख़तरा उनकी उम्मीदों से बड़ा निकला
जंगल में प्रवेश कर चुका था
एक आदमी.

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