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बिखरते ख़्वाब

chalte chalte
chalte chalte
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ख़्वाबों के टूटने का अहसास
जैसे
दर्द भरे सीने में
सिसकते साँसों का वास
नम आँखों की ख्वाहिश
छलक न जाये कहीं
भींगी पलकों की आज़माइश…..

कुछ खोने का ग़म
कुछ टूटने का दर्द
ख़ामोशी में दफ़्न कर दिया
होठों पर रहा आह एक सर्द…….

ऐसा क्यों होता है कभी-कभी
अपना था पर चला गया अभी
शेष रहा ख़ाली-ख़ाली.अहसास
ख़ाली बोतल में सिमटी जैसे प्यास…..

कोई लुट गया,कोई लूट गया
हमसफ़र था कोई वो छूट गया
वीरान ज़िन्दगी में अब रहा क्या
कुछ याद नहीं किसने कहा क्या……….

बस यूँ ही चलेगा ज़िन्दगी का कारवां
आज खिला कल उजड़ जायेगा बागवां
बस यूँ ही जलने दो ज़िन्दगी की शमा
कैसे जीते हैं न हो किसी को ये गुमा………

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