chalte chalte
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रेगिस्तान आहत था
किसी अपने ने की थी
बेवफाई.
बड़ा खुश रहा करता था वो
शुक्रगुज़ार था मानवों का
क्योंकि उसका साम्राज्य
दिन-प्रतिदिन फैलता जा रहा था.
अपने दिल में वो दुआ करता था
कि मनुष्यों की आबादी
यूँ ही अनवरत बढ़ती रहे
जंगल कटते रहें
पर्वत मिटते रहें
वर्षा सूख जाये
हरियाली रूठ जाये
और
उसका साम्राज्य
यूँ ही बढ़ता जाये,फैलता जाये
मगर आज…….
आज उसका मन आहत था
उसे ठेस लगी थी
उसका दिल रो उठा था
रेगिस्तान स्तब्ध था
क्योंकि
उसके ही सीने पर
उग आई थी
एक नन्ही दूब
हरी-कोमल दो पत्तियां
केवल दो पत्तियां
मगर
पूरे रेगिस्तान का
वज़ूद हिल गया
उसे लगा
उसके ख़्वाबों का साम्राज्य
बस मिट्टी में मिल गया.
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